चिकनकारी एक ऐसी कला है जिसकी खूबसूरती हर किसी को मोह लेती है। यह लखनऊ की शान है, जहाँ धागों से कपड़ों पर जादुई डिजाइन बनाए जाते हैं। हर कोई अपनी अलमारी में चिकनकारी का एक खास पीस रखना चाहता है।
लेकिन चिकनकारी खरीदते समय लोग अक्सर कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं, जो उन्हें बाद में भारी पड़ सकती हैं। ये गलतियाँ न सिर्फ आपके पैसे बर्बाद करती हैं, बल्कि आपको उस खास खूबसूरती से भी दूर ले जाती हैं जिसकी आप तलाश में थे।
अगर आप असली और शानदार चिकनकारी खरीदना चाहते हैं, और चाहते हैं कि आपके पैसे सही जगह लगें, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। जानकारी ही आपको सही चुनाव करने में मदद करती है।
इस आर्टिकल में हम आपको चिकनकारी खरीदते समय होने वाली 7 ऐसी गलतियों के बारे में बताएंगे जिनसे बचकर आप अपनी खरीदारी को यादगार और फायदेमंद बना सकते हैं। इन गलतियों को पहचानना सीख लें, और आप पाएंगे कि असली चिकनकारी खरीदना कितना आसान हो जाता है।
ये 7 गलतियाँ जिनसे आपको बचना चाहिए
असली चिकनकारी की पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर आप इस कला को ज्यादा नहीं जानते हैं। लेकिन कुछ आम गलतियाँ हैं जो खरीदार अक्सर करते हैं। आइए, एक-एक करके इन गलतियों को समझते हैं और जानते हैं कि इनसे कैसे बचा जाए।
#1. हाथ की नहीं मशीन की चिकनकारी खरीदना
यह सबसे बड़ी और सबसे महंगी गलती हो सकती है। असली चिकनकारी पूरी तरह से हाथ से बनाई जाती है। इसमें बहुत मेहनत, समय और कारीगरी लगती है। हर टाँका कारीगर की उंगलियों का कमाल होता है। इसलिए हाथ से बनी चिकनकारी की कीमत ज्यादा होती है।
आजकल बाज़ार में मशीन से बनी चिकनकारी भी मिलती है। यह देखने में हाथ की तरह लग सकती है, लेकिन इसमें वो बारीकी, वो फिनिशिंग और वो ‘रूह’ नहीं होती जो हाथ के काम में होती है। मशीन का काम बहुत एक जैसा होता है। इसमें कोई गलती नहीं होती, जो कई बार असली हाथ के काम की पहचान होती है (थोड़ी बहुत इंसानी गलती)।
मशीन का काम जल्दी होता है और इसमें लागत भी कम आती है। इसलिए मशीन की चिकनकारी सस्ती होती है। अगर आप मशीन की चिकनकारी को हाथ की समझकर हाथ वाली कीमत चुका देते हैं, तो यह आपके पैसे की सीधी बर्बादी है। आपको कम वैल्यू वाली चीज़ के लिए बहुत ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं।
कैसे पहचानें: हाथ की चिकनकारी में टांकों में थोड़ी बहुत भिन्नता हो सकती है। पीछे की तरफ धागों की गाँठें कम होती हैं और सफाई ज्यादा होती है। मशीन की चिकनकारी में टाँके एकदम एक जैसे होते हैं, पैटर्न बिल्कुल परफेक्ट होता है। पीछे की तरफ धागों का जाल या ज्यादा गाँठें दिख सकती हैं। ध्यान से देखने पर आपको अंतर समझ आ जाएगा। हाथ के काम में एक स्वाभाविक बहाव और नरमी होती है, जबकि मशीन का काम अक्सर थोड़ा सख्त दिखता है।
#2. कपड़े की क्वालिटी को नज़रअंदाज़ करना
चिकनकारी की खूबसूरती सिर्फ कढ़ाई में नहीं होती, बल्कि उस कपड़े में भी होती है जिस पर यह की जाती है। चिकनकारी कॉटन, जॉर्जेट, शिफॉन, मलमल, रेयन, मोडल जैसे कई तरह के कपड़ों पर की जाती है। हर कपड़े की अपनी खासियत होती है।
सस्ते या खराब क्वालिटी के कपड़े पर की गई चिकनकारी कभी भी उतनी अच्छी नहीं लगती जितनी अच्छी क्वालिटी के कपड़े पर लगती है। खराब कपड़ा जल्दी सिकुड़ सकता है, रंग छोड़ सकता है, या पहनने में आरामदायक न हो। यह जल्दी फट भी सकता है।
मान लीजिए आपने बहुत महंगी और सुंदर चिकनकारी वाला कुर्ता खरीदा, लेकिन कपड़ा घटिया क्वालिटी का निकला। कुछ ही धुलाई के बाद उसका रंग उड़ जाएगा, कपड़ा ढीला पड़ जाएगा, या कढ़ाई खराब दिखने लगेगी। ऐसे में आपके सारे पैसे बर्बाद हो जाएंगे। कपड़े की क्वालिटी सीधे तौर पर कुर्ते की लाइफ और उसकी सुंदरता को प्रभावित करती है।
कैसे पहचानें: कपड़ा छूकर देखें। क्या यह नरम है या सख्त? क्या यह आपकी त्वचा को परेशान करेगा? कपड़े को रोशनी में देखें। क्या यह बहुत ज्यादा पतला है? कपड़े के धागों की बुनाई देखें। क्या यह मजबूत दिखती है? जाने-माने और अच्छे कपड़े चुनें जो चिकनकारी के लिए सही माने जाते हैं, जैसे प्योर कॉटन, अच्छी क्वालिटी का जॉर्जेट या मोडल। अगर कपड़ा खराब है, तो कढ़ाई कितनी भी सुंदर हो, उसे न खरीदें।
#3. कढ़ाई की फिनिशिंग और बारीकियों को न देखना
चिकनकारी की असली जान उसकी फिनिशिंग में होती है। यानी काम कितनी सफाई से किया गया है। इसमें कढ़ाई के टांकों की सफाई, पैटर्न की स्पष्टता और सबसे ज़रूरी, कपड़े की पीछे की तरफ की फिनिशिंग शामिल है।
अच्छी चिकनकारी में कढ़ाई के टाँके एकदम साफ होते हैं, कोई धागा इधर-उधर नहीं निकला होता। पैटर्न देखने में सुंदर और स्पष्ट लगता है। सबसे खास बात, कपड़े की पीछे की तरफ फिनिशिंग बहुत मायने रखती है। पीछे की तरफ बहुत ज्यादा धागों की गाँठें या उलझा हुआ काम नहीं होना चाहिए। साफ फिनिशिंग बताती है कि कारीगर ने कितनी सावधानी और मेहनत से काम किया है।
अगर कढ़ाई की फिनिशिंग अच्छी नहीं है, तो धागे जल्दी निकल सकते हैं। कढ़ाई ढीली पड़ सकती है या उधड़ सकती है। पीछे की तरफ की खराब फिनिशिंग पहनने वाले को चुभ सकती है या कपड़ों में फंस सकती है। ऐसा कुर्ता ज्यादा समय तक टिकेगा नहीं, और आपकी खरीदारी बेकार चली जाएगी।
कैसे पहचानें: कुर्ते को पलटकर उसकी पीछे की तरफ की कढ़ाई देखें। क्या वहाँ बहुत सारी धागों की गाँठें हैं? क्या धागे कटे हुए और बिखरे हुए हैं? क्या कढ़ाई साफ और व्यवस्थित दिखती है? सामने की तरफ टांकों को करीब से देखें। क्या वे एक जैसे हैं (हाथ के काम में थोड़ी भिन्नता ठीक है) और मजबूत दिखते हैं? क्या कोई धागा निकला हुआ है? अच्छी फिनिशिंग वाले पीस में पीछे की तरफ बहुत कम गाँठें होंगी और काम साफ सुथरा दिखेगा।
#4. धागे और टांकों के प्रकार को न समझना
चिकनकारी में कई तरह के टांकों (stitches) का इस्तेमाल होता है। जैसे उलटा बखिया (reverse stitch), मोहड़ी (stem stitch), फंदा (knots), जाली (net work), कील कंगन (running stitch), चेना पट्टी (chain stitch) आदि। हर टाँके का अपना लुक और टेक्स्चर होता है।
एक अच्छी और महंगी चिकनकारी वाले पीस में कई तरह के टांकों का मिश्रण होता है। अलग-अलग टांकों का इस्तेमाल करके डिज़ाइन में गहराई और खूबसूरती लाई जाती है। यह काम ज्यादा मुश्किल और समय लेने वाला होता है।
सस्ते या कम क्वालिटी वाले पीस में अक्सर एक या दो ही टांकों का इस्तेमाल किया जाता है, जो आमतौर पर आसान होते हैं। जैसे सिर्फ चेना पट्टी या सिर्फ सादा टाँका। ऐसे काम में वो खास लुक नहीं आता जो अलग-अलग टांकों के मिश्रण से आता है।
अगर आप टांकों के प्रकार को नहीं समझते हैं, तो आप शायद एक सादे काम के लिए भी ज्यादा पैसे दे सकते हैं। आपको यह पता ही नहीं चलेगा कि जिस पीस में ज्यादा मेहनत और कलाकारी लगी है, उसकी असली पहचान क्या है।
कैसे पहचानें: खरीदने से पहले चिकनकारी के कुछ खास टांकों के बारे में थोड़ी जानकारी ले लें। जब आप कोई पीस देखें, तो करीब से देखें कि उसमें कितने अलग-अलग तरह के टांकों का इस्तेमाल हुआ है। क्या डिज़ाइन में अलग-अलग बनावट (texture) दिख रही है? जैसे जाली वाला हिस्सा नेट जैसा दिखेगा, फंदा छोटे-छोटे मोतियों जैसा। जितने ज्यादा और जटिल टांकों का इस्तेमाल होगा, काम उतना ही कीमती माना जाएगा। विक्रेता से टांकों के बारे में पूछने से भी आपको जानकारी मिल सकती है।
#5. प्रमाणिकता और असली पहचान की जाँच न करना
चिकनकारी की लोकप्रियता के कारण बाज़ार में नकली या कम क्वालिटी वाले उत्पाद भी आ गए हैं। कई बार लोग हाथ की चिकनकारी बताकर मशीन का काम बेचते हैं, या लखनऊ की बताकर किसी और जगह का काम बेचते हैं जिसकी क्वालिटी वैसी न हो।
अगर आप बिना जाँच-पड़ताल किए कहीं से भी चिकनकारी खरीद लेते हैं, तो हो सकता है आप ठगी का शिकार हो जाएं। आपको उस चीज़ की असली कीमत से बहुत ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं, या आपको वो क्वालिटी न मिले जिसकी आप उम्मीद कर रहे थे। यह सीधे तौर पर आपके पैसे का नुकसान है।
असली चिकनकारी की अपनी पहचान होती है। लखनऊ की चिकनकारी को जियोलॉजिकल इंडिकेशन (GI) टैग भी मिला हुआ है, जो उसकी प्रमाणिकता की निशानी है। हालांकि, आम खरीदार के लिए यह टैग हर कपड़े पर देखना संभव नहीं होता। लेकिन आप विक्रेता की विश्वसनीयता, दुकान की प्रतिष्ठा और उत्पाद की क्वालिटी देखकर प्रमाणिकता का अंदाजा लगा सकते हैं।
कैसे पहचानें: कोशिश करें कि जानी-मानी दुकानों या विश्वसनीय विक्रेताओं से ही खरीदारी करें। अगर ऑनलाइन खरीद रहे हैं, तो वेबसाइट के रिव्यू देखें। विक्रेता से उत्पाद के बारे में जानकारी लें – यह कहाँ बना है, किसने बनाया है। अगर कीमत बहुत ज्यादा कम है, तो सावधान हो जाएं। असली हाथ के काम में समय और मेहनत लगती है, इसलिए यह बहुत सस्ता नहीं हो सकता। ऊपर बताई गई बातें – हाथ/मशीन का अंतर, कपड़े की क्वालिटी, फिनिशिंग और टांकों के प्रकार – भी असली पहचान में मदद करते हैं।
#6. कीमत की तुलना और मोलभाव न करना
चिकनकारी की कीमत कई चीज़ों पर निर्भर करती है: कपड़े का प्रकार, कढ़ाई की घनत्व (कितनी घनी कढ़ाई है), डिज़ाइन की जटिलता, इस्तेमाल किए गए टांकों की संख्या और प्रकार, और कारीगर द्वारा लिया गया समय। एक ही तरह के कपड़े पर अलग-अलग डिज़ाइन और कढ़ाई घनत्व के कारण कीमत में बड़ा अंतर हो सकता है।
अगर आप बाज़ार में अलग-अलग जगहों पर कीमतों की तुलना नहीं करते हैं, या पारंपरिक बाज़ारों में मोलभाव नहीं करते हैं, तो हो सकता है आप जरूरत से ज्यादा पैसे दे दें। खासकर अगर आप किसी पर्यटक स्थल पर खरीदारी कर रहे हैं, तो कीमतें अक्सर ज्यादा हो सकती हैं। जानकारी की कमी के कारण आप यह नहीं जान पाएंगे कि उस पीस की वाजिब कीमत क्या है।
मोलभाव करना भारतीय बाज़ारों का हिस्सा है, खासकर स्थानीय दुकानों और कारीगरों से खरीदते समय। लेकिन मोलभाव करते समय उत्पाद की असली वैल्यू को समझना ज़रूरी है। बहुत ज्यादा कम कीमत लगाने से बचें, क्योंकि यह कारीगर की मेहनत का अपमान हो सकता है। लेकिन सही जानकारी के साथ आप वाजिब दाम तय कर सकते हैं।
कैसे बचें: खरीदने से पहले अलग-अलग दुकानों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कीमतों की तुलना करें। देखें कि एक जैसे काम और कपड़े वाले पीस की कीमत कहाँ कितनी है। जब आप किसी दुकान में हों, तो विक्रेता से कीमत के बारे में पूछें और अगर संभव हो तो थोड़ा मोलभाव करें। लेकिन याद रखें, बहुत अच्छी क्वालिटी के हाथ के काम की कीमत कम नहीं होगी। अपनी रिसर्च करें ताकि आपको पता हो कि आप किस चीज़ के लिए पैसे दे रहे हैं।
#7. देखभाल के निर्देशों को न जानना
चिकनकारी के नाजुक धागों और अक्सर नाजुक कपड़ों के कारण इसकी देखभाल का खास तरीका होता है। कई चिकनकारी के कपड़ों को हाथ से धोना पड़ता है, हल्के डिटर्जेंट का इस्तेमाल करना पड़ता है, सीधे धूप में सुखाने से बचना पड़ता है और प्रेस करते समय भी सावधानी बरतनी पड़ती है।
अगर आप चिकनकारी के कपड़े की सही देखभाल के निर्देश नहीं जानते हैं और उसे गलत तरीके से धोते या संभालते हैं, तो कढ़ाई खराब हो सकती है। धागे निकल सकते हैं, कपड़े का रंग उड़ सकता है या वह सिकुड़ सकता है। ऐसे में आपका महंगा चिकनकारी वाला पीस जल्दी खराब हो जाएगा, और आपके पैसे व्यर्थ हो जाएंगे।
गलत देखभाल आपकी पूरी खरीदारी को बर्बाद कर सकती है। एक सुंदर पीस जो सालों तक चल सकता था, गलत धुलाई के कारण कुछ ही समय में बेकार हो सकता है।
कैसे बचें: चिकनकारी का कोई भी पीस खरीदते समय विक्रेता से उसकी देखभाल के बारे में जरूर पूछें। क्या इसे मशीन में धोया जा सकता है? कौन सा डिटर्जेंट इस्तेमाल करना चाहिए? इसे कैसे सुखाना है? कैसे प्रेस करना है? अगर कपड़े पर केयर लेबल है, तो उसे ध्यान से पढ़ें। इन निर्देशों का पालन करके आप अपने चिकनकारी के कपड़े को लंबे समय तक नया जैसा रख सकते हैं।
असली चिकनकारी खरीदने के लिए खास टिप्स
इन गलतियों से बचने के लिए कुछ आसान टिप्स याद रखें:
- कपड़े की क्वालिटी जरूर जांचें।
- कढ़ाई की फिनिशिंग, खासकर पीछे की तरफ, ध्यान से देखें।
- अलग-अलग टांकों और डिज़ाइन की जटिलता को समझने की कोशिश करें।
- विश्वसनीय विक्रेताओं से ही खरीदें।
- कीमत की तुलना करें और वाजिब मोलभाव करें।
- देखभाल के निर्देशों को जानें और उनका पालन करें।
निष्कर्ष
चिकनकारी खरीदना एक अनुभव है। यह सिर्फ एक कपड़ा खरीदना नहीं, बल्कि एक कलाकृति अपने साथ ले जाना है। थोड़ी सी सावधानी और जानकारी आपको इन आम गलतियों से बचा सकती है।
जब आप असली और अच्छी क्वालिटी की चिकनकारी पहचानना सीख जाते हैं, तो आपकी खरीदारी न सिर्फ पैसों की बचत करती है, बल्कि आपको उस खूबसूरत कारीगरी का असली आनंद भी देती है।
अगली बार जब आप चिकनकारी खरीदने जाएं, तो इन बातों को याद रखें। अपनी आँखों और उंगलियों का इस्तेमाल करें, सवाल पूछें, और उस पीस को चुनें जो वाकई में आपकी पसंद और आपके पैसों की कद्र करता हो।
सही जानकारी के साथ, आप शानदार चिकनकारी खरीद सकते हैं जो सालों तक आपकी अलमारी की शान बनी रहेगी, और आप कभी पछताएंगे नहीं। खुश खरीदारी!